बढ़ती आबादी और दिन-ब-दिन इमारतों में तब्दील होते खुले मैदान और खेत-खलिहान...ये यात्रा विकास की ओर है या विनाश की ओर ?
15 जनवरी 2016
बढ़ती आबादी और दिन-ब-दिन इमारतों में तब्दील होते खुले मैदान और खेत-खलिहान...ये यात्रा विकास की ओर है या विनाश की ओर ?
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
खुले मैदानों और मकानों का संतुलन बेहद ज़रूरी है I
21 जनवरी 2016
15 जनवरी 2016