4 अप्रैल 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
जिस तेज गति से भारतीय उक्त पंक्तियों का अर्थ समझेंगे । उस से भी तेज गति से उन्नति करेगे।
4 अप्रैल 2015
इन कुछ लाइन में गागर में सागर समा दिया है , आदरणीय लेखक मुंशी प्रेमचंद जी... यदि हम भारतीय उनकी बात को समझे तो बहुत बड़ी बात कह गए हैं वें .
4 अप्रैल 2015