26 मार्च 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
माँ का ह्रदय ऐंसा ही होता है।
7 मई 2017
धन्यवाद, योगिता जी !
16 अक्टूबर 2015
दिल को छु गयी... सुन्दर रचना
16 अक्टूबर 2015
बुढ़िया, सुध-बुध खोकर भी जानती थी कि आएगा उसका लाल लौटकर वो ठीक जानती थी.
12 सितम्बर 2015
देश के रखवालों के परिवारजनों की दशा का अच्छा वर्णन है इस रचना में शर्माजी
26 मार्च 2015