मंदिरों, धार्मिक स्थलों तथा घरों आदि में पूजा के बाद बचे सूखे फूलों को या तो बहते जल में प्रवाह किया जाता है या फिर वो कूड़े के ढेर में पहुँच जाते हैं I लेकिन, अब न तो जल प्रदूषण का खतरा रहेगा और ना ही फूलों को कूड़े के ढेर में पहुँचता देखकर हमारी आस्था को ठेस पहुंचेगी I
सूखे-मुरझाए फूलों से भी सुगन्ध बटोरने का हुनर रखते हैं कानपुर (यूपी) के अंकित अग्रवाल और करन रस्तोगी I तकनीक विशेषज्ञ अंकित अग्रवाल और वारविक बिज़नेस स्कूल, इंग्लैंड से पढ़े करन रस्तोगी ने ‘हेल्प अस ग्रीन’ संस्था के साथ मई 2015 में फ्लावर साइक्लिंग पर काम शुरू किया था I उन्होंने मंदिरों और धार्मिक स्थलों से फूल इकट्ठे कर ऑर्गनिक खाद, अगरबत्ती और धूपबत्ती का मसाला तैयार कराया I एक साइक्लिंग पूरी होने में 45 दिन का समय लगता है I अब तक उनकी संस्था हजारो किलो बेकार फूलों का सार्थक प्रयोग कर चुकी है I इसके साथ ही उन्होंने फूलों से कीटनाशक भी निकालने में कामयाबी हासिल की है I
हेल्प अस ग्रीन सामाजिक संस्था को उनके उत्पादों हेतु, टाटा सोशल चैलेंज, आईआईएम इंदौर, आईएसबी हैदराबाद और आईआईटी कानपुर द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है I
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D