सर्वविदित है कि संतुलित आहार, स्वास्थ्यकर एवं बलवर्धक माना जाता है. शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यक्षमता बढ़ाने व बनाये रखने के लिए इसकी परम आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिनका एक साथ या समान मात्रा में सेवन करना विष-समान माना गया है. आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'अष्टांग ह्रदय' के अनुसार-
विरुद्धमपि आहारं विद्याद्विषगरोपमम्
अर्थात, जो पदार्थ परस्पर विरुद्ध हों, अथवा परिपाक में जिनका विरोधी परिणाम प्राप्त होता हो, उनको विरुद्ध आहार कहा जाता है. ऐसे पदार्थों का एक साथ सेवन करने से शरीर का चयापचय असंतुलित हो जाता है और उनका यथेष्ट लाभ शरीर के अंगों को नहीं मिल पाता. मान लीजिए, ठंढे तथा गरम प्रकृति के पदार्थ एक साथ खा लिये जाएं, तो उनका परस्पर विरोधी प्रभाव पड़ेगा. आयुर्वेद का मत है कि खट्टे पदार्थ यथा इमली, कच्चा आम, अमचूर, कपित्थ या कैथ,बेर आदि के साथ दूध का सेवन त्याज्य है. इसी प्रकार खट्टी सब्ज़ियाँ और कढ़ी आदि के साथ भी दूध नहीं लेना चाहिए. खट्टी प्रजाति के फल तथा फालसा, जामुन, नीबू, संतरा, अनार आदि के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिए तथा दूध पीने के बाद भी खट्टे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.
इसी प्रकार, मूली खाने के बाद भी दूध का सेवन त्याज्य माना गया है. केला और छाछ और दही व केले का सेवन भी त्याज्य माना गया है. दही, भारतीय भोजन का अभिन्न अंग माना गया किन्तु गरमा-गरम खाद्य पदार्थों के साथ दही नहीं खाना चाहिए. रात के भोजन में भी दही का त्याग ही करें तो अच्छा, और यदि दही खाना ही है तो उसमें नमक डालकर खाएं. दही यदि अधिक खट्टा हो तो उसका सेवन, पेट में जलन पैदा करेगा, अतः अधिक खट्टे दही का भोजन में प्रयोग न करें. दूध और दही की प्रकृति में काफी अंतर होता है अतः दोनों को एक साथ भोजन में प्रयोग करना हानिकारक होता है.
कांसे के बर्तन में यदि घी, दस-बारह दिनों तक रखा रहे तो वह विषाक्त हो जाता है. अतः घी को सदैव कांच या चीनी-मिट्टी के पात्र में ही रखें. पके हुए अन्न तथा काढ़ा आदि गरम करके पुनः काम में नहीं लाना चाहिए. मछली खाते हैं तो इसके साथ दूध, गुड़, शक्कर या शहद आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
ध्यान देने योग्य बात है कि ये परस्पर विरुद्ध प्रकृति के पदार्थ, स्वतंत्र रूप से तो एक दूसरे के विरोधी हैं, किन्तु अन्य पदार्थों के साथ मिलकर इनका पारस्परिक विरोध अप्रभावी हो जाता है. रायते में जब दही और केले के साथ मिर्च-मसाले व लवण-शर्करा का संयोग हो जाता है तो इनका दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है. इसी प्रकार पंचामृत में जब दूध, दही, शर्करा के साथ घी और शहद का मेल होता है तो उनका विरोधी प्रभाव क्षीण हो जाता है.
इसलिए भोजन करते समय ये बात ज़रूर ध्यान रखें कि वो कौन-कौन से भोज्य-पदार्थ हैं जो अलग-अलग अमृत बनें, साथ-साथ विष होएँ.
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D