अंतस में भी दीप जलें,
मन बने भोर की लाली;
दिवस बने मंगल-तोरण
हिय में भी हो दीवाली I
खिलें उमंगों के उपवन
महकें प्रसून डाली-डाली;
रंगोली सजे द्वार-द्वार
बिखरे चहुँदिश हरियाली I
मेल दिलों के बने रहे,
भले हाथ हों खाली;
अंतस में भी दीप जलें
हिय में भी हो दीवाली I
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !