मशहूर चित्रकार गणेश पाइन का जन्म 1937 में कोलकाता में हुआ । बचपन से ही वे
काफी शर्मीले स्वाभाव के थे और स्कूल के दिनों में स्केचिंग किया करते थे । सन 1947
में भारत विभाजन के समय बंगाल में हुए साम्प्रदायिक दंगों की वीभत्स छवियाँ उनके
मन में हमेशा अंकित रहीं, जो बाद में उनके चित्रों में भी दृष्टिगोचर हुईं । स्कूल
की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने ‘गवर्नमेंट कॉलेज ऑव आर्ट एंड क्राफ्ट कोलकाता’ से ड्राइंग एंड पेंटिंग का डिप्लोमा
प्राप्त किया । उन दिनों उन पर अवनीन्द्रनाथ टैगोर की कला का काफी असर था i आरम्भ
में उन्होंने वाल्ट डिज़नी से प्रभावित होकर एनीमेशन फ़िल्मों के लिए चित्र बनाए ।
उन्होंने इतिहास, पौराणिक कथाओं, साहित्य, और महाकाव्यों के चरित्रों को चित्रकला
के माध्यम से अत्यंत सुन्दरता से प्रस्तुत किया । इन चित्रों में दुशाल, अम्बा, एकलव्य
और युयुत्स प्रमुख हैं । उनके चित्रों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ गहन
दर्शन की झलक मिलती है ।
गणेश पाइन को 'अँधेरे का चित्रकार' भी कहा जाता है क्योंकि उनकी अनेक कृतियों में जीवन के अंतिम सत्य की झलक भी दृष्टिगोचर होती है । उत्कृष्ट रेखांकन के अतिरिक्त उन्हें उनके चित्रों की विशेष शैली के लिए भी ख्याति मिली । पेंटिंग्स के लिए विषय-चयन के प्रश्न पर उनका कहना था कि वो अपने अंतर्मन से ही इसे तलाशते थे। उनका मानना था कि कला, समाज का सौंदर्य है। अगर कला की उपेक्षा हुई तो समाज का सौंदर्य और संतुलन नष्ट हो जाएगा। भारत के आलावा पेरिस, लन्दन, वाशिंगटन और जर्मनी सहित दुनियाभर में उनके चित्रों की प्रदर्शनियां लगाई गईं i 12 मार्च, 2013 को तिमिर का यह चितेरा विभु-रंग में विलीन हो गया ।