आखिरकार लम्बे इंतज़ार के बाद रियल एस्टेट संबंधी विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया I इस विधेयक के क़ानून का रूप लेने का इंतज़ार लाखों लोग कर रहे थे I यह अच्छा नहीं हुआ कि जब अपने घर का सपना देखने वाले लोग इस विधेयक के पारित होने की प्रतीक्षा कर रहे थे तब कई राजनीतिक दल जाने-अनजाने उनके धैर्य की परीक्षा ले रहे थे I वे चाहते तो यह विधेयक पिछले सत्रों में ही पारित हो सकता था, लेकिन तब उनमें संसद में हंगामा करने की होड़ मची थी I अब जब सभी इस विधेयक के पारित हो जाने पर संतोष प्रकट कर रहे हैं तब फिर यह भी ज़रूरी हो जाता है कि वे दल संसद में अड़ंगेबाज़ी वाले अपने रवैये पर भी गौर करें I रियल एस्टेट जनहित का एक ऐसा विधेयक है जो न केवल घर खरीदने वाले लाखों लोगों को तमाम सहूलियत देगा, बल्कि रियल एस्टेट उद्योग को भी विश्वसनीयता प्रदान करेगा I इस विधेयक के ज़रिए रियल एस्टेट की नियामक संस्था बनेगी जो लोगों को बिल्डरों की धोखाधड़ी और लेट-लतीफ़ी से छुटकारा दिलाने के साथ उनकी अन्य समस्याओं का समाधान करने में भी सहायक होगी I रियल एस्टेट के नियमन की ज़रूरत एक लम्बे समय से महसूस की जा रही थी, लेकिन हमारे नीति-नियंता तब चेते जब समस्याओं ने आम लोगों को आक्रान्त कर दिया I यह समझना कठिन है कि रियल एस्टेट के लिए कोई नियामक संस्था बनाने का सुझाव समय रहते क्यों नहीं सूझा और जब सूझा भी तो उसके क्रियान्वयन में इतना समय क्यों लगा ? पहली बार 2013 में रियल एस्टेट विधेयक संसद में लाया गया था, लेकिन उसे अंतिम रूप देने और उस पर सहमति बनाने में तीन साल गल गए I
रियल एस्टेट विधेयक में कई ऐसे प्रावधान हैं जो फ़्लैट ख़रीदने वालों के हितों की रक्षा में सहायक साबित होंगे I सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि अब फ़्लैट ख़रीदने वाले, बिल्डरों की ठगी का शिकार बनने से बच सकेंगे I देश में न जाने कितने लोग ऐसे हैं जो एक अदद घर की चाह में लाखों रुपयों से हाथ धो बैठे I वे ठगे भी गए और उनकी कहीं कोई सुनवाई भी नहीं हुई I इसी तरह तमाम लोग ऐसे भी हैं जो बिल्डरों की मनमानी से त्रस्त हुए और किसी के समक्ष अपनी पीड़ा भी नहीं बयान कर पाए I ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक था कि किसी भी प्रोजेक्ट में दो तिहाई ग्राहकों की मंज़ूरी के बिना बदलाव नहीं होगा और एक प्रोजेक्ट के लिए जुटाया गया 70 प्रतिशत धन दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगेगा I अब बिल्डरों को दो साल में अपना प्रोजेक्ट पूरा करना होगा I उन्हें ख़ास परिस्थितियों में ही अधिकतम एक वर्ष की छूट मिल सकती है I यह भी सर्वथा उचित है कि अब विज्ञापन और प्रचार में जो बताया जाएगा उसे प्रोजेक्ट का हिस्सा माना जाएगा I इसी तरह कब्ज़ा देने में देरी पर उतना ही ब्याज देने की व्यवस्था तर्कसंगत है जितना ग्राहक पर भुगतान में देरी पर लगता है I यह भी अच्छा हुआ कि कार्पेट और बिल्ट-अप एरिया को परिभाषित किया गया है I चूंकि रियल एस्टेट, कृषि क्षेत्र के बाद रोज़गार उपलब्ध कराने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है इसलिए इस क्षेत्र को पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक था I इस विधेयक को राज्यसभा से पारित होने के बाद लोकसभा में आना है और वहां उस पर मंज़ूरी एक औपचारिकता भर है I अच्छा यह होगा कि अब राजनीतिक दल उन अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने पर ध्यान दें जिनकी प्रतीक्षा हो रही है और जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ आम लोगों को राहत देने में मददगार बनेंगे I
साभार: दैनिक जागरण