शहर
में एयरपोर्ट नहीं है, फिर भी आईआईटी के स्टूडेंट्स
उड़ान भर रहे हैं। नौकरी
करने के बजाय उद्योग स्थापित करके रोजगार विकसित कर रहे हैं। युवाओं को जॉब देकर बेरोजगारी को दूर भगाने की
पहल कर रहे हैं।
अब तक सात आईआईटियंस का नाम सामने आया है, जो
बीटेक, एमटेक, एमबीए
या फिर पीएचडी करके स्टार्ट
अप इंडिया से जुड़े हैं। आईआईटी से बीटेक करने के बाद समर्थ ने लीक से हटकर काम करने का फैसला किया।
कहा कि पत्रकारिता करेंगे।
पीएचडी स्कालर मुकुल जोशी ने भी लीक से हटकर काम किया। साथ ही इस मिथक को
तोड़ने की कोशिश की कि आईआईटी से पढ़ने वाले
स्टूडेंट नौकरी, पैसे के पीछे भागते हैं।
शिवांक गर्ग- आईआईटियंस ने कारबाइड फ्री आम
बेचने का बिजनेस शुरू
किया। पहले आईआईटी से एक किलोमीटर दूर आजाद नगर मंडी का सहारा लिया, अब दिल्ली से लेकर अलग-अलग शहरोें में आम भेज रहे हैं। शिवांक ने फल
और सब्जियों का बड़ा मार्केट भी बनाया है,
जिसे एशिया का सबसे बड़ा चेन कहा गया। प्रोडक्ट सुरक्षित रहे, इसकी तकनीक भी शिवांक ने विकसित की है।
निखिल, सुहास,
विपुल, यशवंत,
पीयूष और प्रशांत- छह सदस्यीय टीम ने अरव
अनमैंड सिस्टम (एयूएस) बनाया, जिसका इस्तेमाल ड्रोन के रूप में किया जा सकता है। इसका हार्डवेयर, साफ्टवेयर भी स्टूडेंटों ने डिजाइन किया। कंट्रोलिंग सिस्टम भी यहीं का है। इसकी मदद से
बड़े क्षेत्र की थ्रीडी मैपिंग की जा सकती है। माइनिंग इवैल्यूएशन में भी मदद ली जा सकती है।
कुशांग- आईआईटी से वर्ष 2015 में पढ़कर निकले
स्टूडेंट ने कंपनी प्रमोट करने की कंपनी स्थापित की और आटोमेटेड हाईपर लोकल एडवरटाइजिंग टूल बनाया। कम
समय में ही दिल्ली, एनसीआर के 25000 कंज्यूमर कंपनी से जुड़ गए। सबने ऑफ
लाइन एडवरटाइजिंग कराया। टूल का इस्तेमाल 3000
ट्रेन के यात्रियों ने भी किया है।
अमितेश मिश्रा- बीटेक और एमटेक करके स्टूडेंट
ने हिंदी की सोशल साइट
'शब्दनगरी' बनाई। वर्ष 2015 में कंपनी की शुरुआत की, जिससे 20 हजार लोग जुड़ चुके हैं। कविता, ब्लाग
और कहानी भी लिख रहे हैं। अमितेश ने पांच लाख रुपये से कंपनी की शुरुआत की थी, जो
अब चार करोड़ रुपये की हो चुकी है। तमाम लोगों को रोजगार भी मिला है।
अमृता और आशुतोष व्यास- स्टूडेंटों ने आर्थराइटिस सहित तमाम बीमारियों के इलाज
का मेडिकल प्रोडक्ट बनाया।
तकनीक विकसित करके थेरेपी दी, जिससे रोगियों को आराम मिला। इस तकनीक का इस्तेमाल बड़े अस्पतालों में
भी किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन किया जा रहा है। तमाम लोगों को रोजगार भी मिला है।
आनंद सिंह शेखावत- आईआईटियन ने यूथ प्लानिंग का प्लेटफार्म बनाया। कंपनी
स्थापित करके प्लानिंग
टिप्स देने का सिलसिला शुरू किया, जो अब हिट हो
गया। तमाम युवा प्लानिंग टिप्स
लेकर कामकाज निपटाते हैं।
अभिषेक- कानपुर और कोटा से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंटों को ऑनलाइन
आर्डर देकर सामान मंगाने की सुविधा उपलब्ध
कराई। यह प्लान हिट हुआ और कोचिंग करने वाले स्टूडेंटों ने स्टार्ट अप को हाथोंहाथ लिया। ऑनलाइन आर्डर
देकर ही सामान मंगा रहे हैं।
साभार : अमर उजाला