दुनिया अगर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से परिचित है तो जलियांवाला कांड भी भुलाया नहीं जा सकता। अमृतसर में १३ अप्रैल, १९१९ को एक भयानक हत्याकांड हुआ। पंजाब के नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ़्तारी के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक विशाल सभा का आयोजन हुआ। सभा के मध्य में ही पंजाब के सैनिक कमांडर जनरल डायर ने सैनिकों को लेकर बाग़ को घेर लिया। बिना चेतावनी दिए हुए उसने निहत्थी भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इससे सैकड़ों निर्दोष लोगों की मृत्यु हो गयी और हज़ारो लोग घायल हुए।
जलियांवाला कांड से पूरे देश में हाहाकार मच गया। इसके विरोध में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी 'सर' की उपाधि वापस कर दी। इसने मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों के राष्ट्रवाद को जन-राष्ट्रवाद के रूप में परिवर्तित कर दिया, जिसमें किसान, मज़दूर, छात्र, दस्तकार और कारीगर आदि सम्मिलित हुए। इसके बाद राष्ट्रीय आंदोलन पहले की अपेक्षा अधिक ढृढ़ हो गया। इसमें हिन्दू-मुस्लिम एकता का अभूतपूर्व प्रदर्शन हुआ, जिससे भारतीय राष्ट्रवाद को काफी बल मिला।
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D