आईआईटी
के अनमैंड एरियल व्हीकल (बिना आदमी का प्लेन) का इस्तेमाल बार्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) करेगी। इस
तकनीक को उपयुक्त बताते हुए बीएसएफ सिग्नल कोर ने बुधवार को मंजूरी दे दी है।
एरियल व्हीकल का तकनीकी परीक्षण अप्रैल से राजस्थान में शुरू
होगा। इसमें सफलता के बाद इस तकनीक का उपयोग सीमा सुरक्षा और उसकी निगरानी में किया जाएगा।
आर्मी सिग्नल कोर के हेड मेजर जनरल संदीप शर्मा ने मंगलवार को आईआईटी की एयरो
स्पेस इंजीनियरिंग लैब देखी और अनमैंड एरियल
व्हीकल की खासियत जानी। इसके बाद बुधवार को परीक्षण का समय तय कर दिया। इससे आईआईटी के विज्ञानी
उत्साहित हैं।
10 किलोग्राम का एयर व्हीकल बनाने वाले प्रो. ए के
घोष और प्रो. दीपू फिलिप का कहना है कि इसका
इंफ्रारेड कैमरा अच्छी क्वालिटी की पिक्चर और वीडियो बनाकर मुख्यालय को भेज सकता है।
बीएसएफ सिग्नल विंग को यह तकनीक पसंद आई है। इसी वजह से आपसी समझौते का फैसला हुआ
है। फरवरी तक सारी औपचारिकता पूरी कर ली
जाएगी, फिर अप्रैल में राजस्थान के रेगिस्तान में अनमैंड एयर व्हीकल का
तकनीकी परीक्षण किया जाएगा।
आईआईटी कानपुर ही इस तकनीक पर काम कर रहा है।
बीएसएफ ने कहा है कि अन्य इंस्टीट्यूट को भी इस दिशा में काम करना चाहिए।
विदेशों से कम होगी लागत
एक अनमैंड एयर व्हीकल को बनाने में 50 लाख
रुपये का खर्च आता है। यदि एक साथ 10 हजार व्हीकल
बनाए जाएं तो लागत 10 लाख रुपये कम हो जाएगी। विदेशों में इस तकनीक का व्हीकल डेढ़ करोड़ रुपये
में मिल पाता है। व्हीकल के ज्यादातर पार्ट भारत से मंगाए गए हैं। इंफ्रारेड कैमरा विदेश से मंगाया गया
है। इस क्वालिटी का कैमरा भारत में नहीं मिल
पाता है।
साभार : अमर उजाला