26 अगस्त 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
विजय जी, अनेक धन्यवाद !
8 सितम्बर 2015
प्यार के धागे जैसे अमूल्य होते हैं वैसे आपकी यह रचना अतुलनीय है शर्मा जी
3 सितम्बर 2015
अर्चना जी, अनेक धन्यवाद !
1 सितम्बर 2015
काँधे पर थपकी के धा..........सुन्दर रचना प्यार में भीगी सी
31 अगस्त 2015
कितना अमूल्य है ये धागा प्रेम का जब ये हमारी कलाइयों पर सजे वाह ओम जी वाह
29 अगस्त 2015
पारुल जी, बहुत बहुत धन्यवाद !
27 अगस्त 2015
अत्यंत सुन्दर रचना, अभिनन्दन
26 अगस्त 2015
धन्यवाद मंजीत जी !
26 अगस्त 2015