असली लगाव हो तो रस्ते बन ही जाते हैं
मिट्टी से मिल मुरझाए पौधे तन ही जाते हैं
सब दूर हमसे हो रहे फिर भी ना सोच क्या
हम उनको समझ अपना लगाए मन ही जाते है
किसको कहां परवाह कि वो दिल में बसाएगा
अब तो अच्छे लगे हैं जो लुटाए धन ही जाते हैं
सही क्या है गलत क्या है यहां जो भी बताएंगे
सयाने स्वार्थी लोगों में वो तो छन ही जाते हैं
अभी है वक्त तू फितरत को अपनी ले बदल मधुकर
चला चल रास्ते वो ही जहां सब जन ही जाते हैं