बुलाता है वो अपना पास पर ना आग बाकी है
मधुरता खो गई गीतों में अब ना राग बाकी है
तपते जेठ की गर्मी में वो सावन की उम्मीदें
कहाँ झूलेंगी ये सखियां कोई ना बाग़ बाकी है
घाव तो भर गया लेकिन उन्हें समझाऊं मैं कैसे
सदा आँखों में चुभता है वो अब तक दाग बाकी है
बसंती रिश्तों के रंग अब यहाँ मन को नहीं रंगते
कहने को त्योहारों में अभी भी फाग बाकी है
किसे अपना कहो मधुकर ये मतलब की दुनिया है
रिश्तों में घटाना जोड़ना और बस भाग बाकी है