तू जब भी पास होता है समय ये थम सा जा है
तेरी बातों में मेरा मन अचानक रम सा जाता है
दर्द मेरे भी दिल में था सुकूँ पर ना दिया रब ने
मिला है तू मगर जब से हुआ ये कम सा जाता है
मिला जो तू मुकद्दर से खुशी इतनी मिली मुझको
ये आंसू आँख को मेरी करे अब नम सा जाता है
मुहब्बत में लहू बन के तू जो नस नस में आ बैठा
ख्याल अब तो जुदाई का निकाले दम सा जाता है
रिश्तों को समझ मधुकर फ़कत एक आब के जैसा
मिले ना प्यार की गर्मी तो पानी जम सा जाता है