
कोई परदा नहीं जब बीच गैर हम हो नहीं सकते
किसी और की बाहों में अब तुम सो नहीं सकते
बड़ी मुश्किल से मिलती हैं दौलतें प्रेम की जग में
कोई कीमत लगाओ अब इसे हम खो नहीं सकते
मुहब्बत में खुदा एक दूजे को हम ने बनाया है
कोई नफ़रत के बीज बीच में हम बो नहीं सकते
पीर सीने में जो उठती है तुम कहाँ देख पाओगे
दिखा के इस ज़माने को कभी हम रो नहीं सकते
बना के गर्व का टीका तुम्हें मस्तक सजाया है
किसी भी हाल में मधुकर इसे हम धो नहीं सकते