मधुर मिलन की है आस मन में
कोशिश जरा तो कर लो
मुझको लगाओ सीने से अपने
बाहों के बीच भर लो
ये जिंदगी है कुछ पल का मेला
सोचो ना हद से ज्यादा
औरों की सुन के देखो ना हरदम
सूनी कोई डगर लो
दिल में छुपा के कब तक रखोगे
मन जो भी कह रहा है
अधरों के बीच तुम भी सनम ए
मेरी ही सांस धर लो
इंसान हो तो इंसा रहो ना
भगवान मत बनो तुम
ऊंचे हुए हो जो हद से ज्यादा
नीचे जरा उतर लो
लड़ के ना कुछ भी हांसिल करेगा
कह दो जमाने भर से
अपनी बताओ औरों को जा के
मधुकर की भी तुम खबर लो