तेरी खुशबू को मैंने अपनी सांसों में बसाया है
मुहब्बत का असल अंदाज़ ये मैंने निभाया है
मिले हो जब से तुम मुझको बहारें मुस्कुराई हैं
सिवा तेरे ना कोई ख्वाब आँखों में समाया है
जिस घड़ी हाथ में लेकर ये पेशानी छुई तुमने
हर एक ग़म ज़माने का मैंने हँस के भुलाया है
तू ये माने या ना माने मगर सच तो न बदलेगा
तेरी यादों ने बस तन्हाई में मुझको रूलाया है
पावन मिलन दिल के महज़ संजोग मत समझो
जाने क्या सोच कुदरत ने यहाँ हमको मिलाया है