मुहब्बत दिल में होती है मगर आँखें जताती हैं
खुशबू प्यार की मुझको तेरी बातों से आती है
सभी कुछ पास है मेरे मगर फिर भी अधूरा हूँ
जिसे जाना कभी आवाज़ वो मुझको बुलाती है
भले वो दूर रहती हो मगर नज़दीक है इतने
कोई भी बात मन की मुझसे वो ना छुपाती है
मुहब्बत में सनम को जिसने भी अपना खुदा माना
किसी के सामने वो उसके सर को ना झुकाती है
बड़ी तकदीर से मिलता है मधुकर साथ ऐसों का
जिनकी आदत कभी इंसान का दिल ना दुखाती है