किस्मत के धोखे,ज़िन्दगी में, जब भी आते हैं
कुछ भी करो, दिल को मगर, वो तो दुखाते हैं
कभी सोचा ना था, यूँ ज़िन्दगी भी, रूठ जाएगी
कुछ अपने , मुझे तो कोस के , हरदम सताते हैं
मेरी कमजोरियां, मुझपे हमेशा, राज करती हैं
सितारे भी, नई कोई राह ना, मुझको दिखाते हैं
बिना चाहत के रिश्तों के, बोझ सब, सह नहीं सकते
मेरे कांधे मगर , इस बोझ को, हर पल उठाते हैं
ज़रा सा भी मिले मौका, तो रुक पाना, नहीं मुमकिन
ये दोनों हाथ मधुकर के, प्रेम खुल के, लुटाते हैं