ए हमदम मेरे और दीवाने मेरे
मैं भी देख दीवानी बन गई हूं
मुहब्बत का तेरी ऐसा असर है
हरी बेल सी आज मैं तन गई हूं
मेरा मोल समझा ना पहले किसी ने
मुझको फकत एक नाचीज समझा
तूने मोल मेरा है जब से बताया
अब तो मैं अनमोल बन धन गई हूं
अकेली थी जब तो हिम्मत नहीं थी
चारो तरफ नाग लहरा रहे थे
जब से मिला है तेरा साथ प्यारा
कुचलती मैं सख्ती से सब फन गई हूं
मुझको तो तुझ पे बरसना है मधुकर
मुझे कौन रोकेगा चालाकियों से
तुझ पे बरसने को लोगों से छुप के
एक कारा सा मैं भी बन घन गई हूं
मुझे इल्म है तेरी हालत का पूरा
मेरे बिन तू प्यासा है पूरे सफर में
मुझसे मुहब्बत तू करता है इतनी
मैं इक तेरी मीठी चुभन बन गई हूं