मुहब्बत तेरे सीने में, अगर मुझ सी पली होती
कमी मेरी दो बाहों की, तुझे हरदम खली होती
अगर तुम साथ में रहते, तो रौनक बज्म में होती
ये शब देखो निरी तन्हा, ना फिर ऐसे ढली होती
ढूँढ़ने साथिया मन का, जब भी राहें चुनी मैंने
काश उन राहों में शामिल, एक तेरी गली होती
कभी ऐसे भी क्षण आए , सांस लेना हुआ दूभर
दम ना घुटता हवा जो, तेरी खुशबू की चली होती
ज़रा सा साथ दे देती, अगर किस्मत यहाँ मेरी
चिता अरमानों की मेरे, नहीं मधुकर जली होती