ज़िन्दगी जी ले कोई क्या झमेले ही झमेले हैं
भीड़ है हर तरफ लेकिन यहाँ फिर भी अकेले हैं
बड़े आराम से वो भेष भी अपने बदलता है
मगर चालाकियों के खेल ये मैंने ना खेले हैं
वो कहता है मैंने तो उम्र भर रिश्ते निभाए हैं
मुहब्बत थी नहीं जिनमें ये सब तो ऐसी जेलें हैं
आज चमकीला अपना वर्क वो सबको दिखाता है
ज़रा तुम गौर से देखो भीतरी मन तो मैले हैं
कोई ज़िंदा यहाँ बचकर कहो कैसे निकल जाए
हर तरफ सर्प मधुकर देख तो बैठे विषैले हैं