शांति की खातिर हम कब से अत्याचार सह रहे थे
किसी से कुछ ना कह कर बस चुपचाप रह रहे थे
शायद वो सब इसको हमारी कमजोरी समझते थे
तभी तो बिना बात हम से सारे बेईमान उलझते थे
अत्याचारियों ने आतंकी सीमाओं को जो तोड़ा हैं
प्रतिघात को ही निज रक्षा का उपाय एक छोडा हैं
अब हमने तय किया हैं पूरी शक्ति से हम भी लड़ेंगे
कुरुक्षेत्र के इस महाभारत में मगर पीछे नहीँ हटेंगे.
शिशिर मधुकर