अपने भारत जैसा धरती पर कोई देश नहीं हैं और
ईमानदार यहाँ धक्के खाते हैं और चोर मचाएं शोर
संघीय ढाँचे के नाम पर हरदम राज्य शोर मचाते हैं
अपने दोषों की गठरी भी वो केन्द्र के सर ठहराते हैं
केन्द्र अगर सख्ती कर दे तो आने से पहलें नई भोर
चोरों का ये संघीय ढाँचा हो जाता हैं बहुत कमजोर
देश सुचारु चलाने को ये तो प्रशासनिक व्यवस्था हैं
इसके कारण देखो पर अब हालत कितनी खस्ता हैं
कुछ राज्यों के नेता तो गुंडो से भी बदतर दिखते हैं
थाने भी वहाँ पर अक्सर पैसों के दम पर बिकते हैं
असल विकास को लेकर कहीँ कोई नहीं अनुराग हैं
बस ताकत को काबू करने की अंधी भागमभाग हैं
एक विशेष राज्य नेता तो इतना ज्यादा बौखलाया हैं
पोलीस ना मिली तो जैसे उसने कुछ भी ना पाया हैं
जिसको जो भी मन आए वो पी एम को कह देता हैं
और बेचारा पी एम भी हँस हँस कर सब सह लेता हैं
सख्ती अगर दिखानी हैं तो शासन में अनुशासन हो
सब मिलकर तय कर लो ना बेमतलब के भाषण हो
शिशिर मधुकर