एक तुम ही हो जिसने, मेरा जीवन संवारा है
मेरी इन धड़कनों ने नाम, बस तेरा पुकारा है
मतलब का कोई खेल, न ये बातें मेरी समझो
हर एक लफ्ज में मैंने दिया, तुमको इशारा है
एक तुम ही नहीं तन्हा, बेबसी मैं भी सहती हूँ
कितनी दुश्वारियों से वक्त, सोचो मैंने गुजारा है
मझधार में छूटा है जब से, साथिया का साथ
मैं ही ये जानती हूँ, कैसे मैंने, खुद को उबारा है
भले मैं दूर हूँ तुम से, मगर तुम जान लो ये सच
मेरे खूं का हर कतरा, मधुकर केवल तुम्हारा है