तेरी आवाज़ ही अब तो बनी मेरा सहारा है
हजारों फूल खिलते हैं तूने जब भी पुकारा है
तू मेरी सांस बनके इस तरह जीवन में छाया है
तेरे बिन ज़िन्दगी का अब नहीं होता गुजारा है
मुझे कड़वे सचों ने ज़िन्दगी के तोड़ डाला था
मेरी उजड़ी सी हस्ती को फ़कत तूने निखारा है
बसी हूँ जब से पलकों में वहीं महफूज़ हूँ हरदम
ना पल भर को कभी तूने मुझे नीचे उतारा है
जमीं में थी दफन मैं तो फ़कत एक बीज के जैसी
तेरी मेहनत ने ही मधुकर मुझे फिर से उबारा है