धर्म जब केवल ठेकेदारों की किताब हो गया
आम जन के लिए समझो वो खराब हो गया
ऐसे में स्वार्थसिद्धि के सब कई षड्यंत्र करेंगे
जिसका मूल्य सदियों तक निरीह लोग भरेंगे
किताबों में लिखी कुछ बातों की देंगे ये दुहाई
जन जन के बीच कराएंगे ये सब बड़ी लड़ाई
पर ज्ञान की तो सोचो कोई सीमा नहीं होती
पुरानी लिखी बातें भी हैं अक्सर गलत होतीं
वक्त के संग इसलिए जो आगे ना बढ़ सकें
कुचल दो उनके सर कि वो छल ना कर सकें.
शिशिर मधुकर