कश्मीर में हिंसा और घाटी में अलगाववाद
इस सच से आजकल सब दो चार हो रहे हैं
और जाकिर नाईक के भड़काऊ उपदेशों पर
एक दूसरे पर भद्दे राजनैतिक वार हो रहें हैं.
सच में हम भारतीय कभी सुधर नहीं सकते
अपना ही नाश करने में हम कभी नहीं थकते
झूठ को सच बनाने की हमें सदा से आदत है
तभी गुंडों की मृत्यु पर भी होती सियासत है
एक क़ानून पर जो अब भी ना विचार होगा
मठाधीशों पर जो जल्द ना कड़ा प्रहार होगा
तब तलक ऐसे ही बेतुकी बातें बोली जाएंगी
और शान्ति की आवाजें आगे ना आ पाएंगी
अभी तो कश्मीर के हालात थोड़े से बिगड़े हैं
और हिस्सों में भी कुछ छोटे मोटे झगडे हैं
यदि जल्द ही ये विष बेलें ना कुचली जाएंगी
आगे आगे हर शहर में गोलियां दनदनाएंगी.
शिशिर मधुकर