कोई नाता है जन्मों का, तभी तो याद आती है
तेरी हर चीज़ यूँ ही थोड़े, मेरे मन को लुभाती है
मेरे खूं का हर इक कतरा, खुशी में झूम उठता है
मुझे आवाज़ दे और मुस्कान दे, जब तू बुलाती है
जब भी आगोश में भर के, तूने मस्तक ये चूमा है
हजारों फूल खिलते हैं, गीत धड़कन भी गाती है
तेरी हालत की तू जाने, मैं तो अपनी बताता हूँ
तेरी खुशबू मेरी सांसों में बस, मुझको सताती है
मुझे भी वो हुनर दे दे, जो तेरे पास है मधुकर
जिससे तू बात निज मन की, यूँ हौले से छुपाती है
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