ऐ ज़माने तूने क्यों खुद को बदरंग कर लिया
सारी शर्म छोड़ बस गुबार दिल में भर लिया
जो भी हैं चालाक झूठे मिलकर एक हो गए
सत्य को तूने यहाँ आखिर अकेला कर दिया
झूठ ही जीतेगा जब तो सच की क्यों बातें पढ़े
कह दो अब कोई भी धर्म पथ पर ना आगे बढे
झूठ का साम्राज्य जब चारो तरफ़ बन जाएगा
न्याय की खातिर फ़िर कभी कोई ना बौराएगा.
शिशिर मधुकर