जिस समाज ने नारी को पुरुषों से कमतर आका हैं
विपदाएं वहाँ भरी पड़ी हैं सुख आकर नहीं झांका हैं
सकल विश्व में शांति आए आओ ये संकल्प उठाए
नारी मन से तम मिट जाए घर घर ऐसे दिए जलाए
जन्मदात्री नारी का दिल सॄष्टि नाशक नही होता हैं
संतानों के सीनों में वो मानवता का भाव पिरोता हैं
विश्व की आग बुझाने को मातृ ह्रदय को आगे लाए
नारी मन से तम मिट जाए घर घर ऐसे दिए जलाए
जब हर घर में बेटी होगी रिश्तों का सम्मान बढेगा
कोई ना दुर्जन बन फ़िर महिला का अपमान करेगा
रिश्तों की भावुक सोच को अपने जीवन में अपनाए
नारी मन से तम मिट जाए घर घर ऐसे दिए जलाए
अब हमको ये करना होगा दहेज रस्म को मरना होगा
स्त्री को उपभोग ना समझे विधवा विवाह शीघ्र कराए
उन सारी बातों को छोड़े जो नारीत्व को नीचा दिखाए
नारी मन से तम मिट जाए घर घर ऐसे दिए जलाए
शिशिर मधुकर