अधूरा हूँ तुम्हारे बिन तुमको अंदाज़ तो होगा
अनकहा तेरे होठों पे कोई अल्फ़ाज़ तो होगा
ये माना देख चेहरे को बयां कुछ भी नहीं होता
मगर दिल में छुपा रक्खा हो ऐसा राज़ तो होगा
ये सच है कुछ हवाओं ने नशेमन को उजाडा है
घरौंदे में नए जीवन का फिर आगाज़ तो होगा
ज़माने के चलन को देख के तुम चुप से रहते हो
मगर अपनी मुहब्बत पे तुम्हें भी नाज़ तो होगा
ये भी एक दौर है मधुकर जिसमें नफ़रत समाई है
तेरे दिल में मुहब्बत का अभी भी साज़ तो होगा