तुम्हें नहीं दीखी?
बिना तीरों की नदी,
बिना स्रोत की
सदानीरा।
वेगहीन, गतिहीन,
चारों ओर बहती,
नहीं दीखी तुम्हें
जलहीन, तलहीन
सदानीरा?
आकाश नदी है, समुद्र नदी,
धरती पर्वत भी
नदी हैं।
आकाश नील तल,
समुद्र भंवर,
धरती बुदबुद, पर्वत तरंग हैं,
और वायु
अदृश्य फेन।
तुम नहीं देख पाए।
धंदहीन, शब्दहीन, स्वरहीन, भावहीन,
स्फुरण, उन्मेष, प्रेरणा, -
झरना, लपट,
आंधी।
नीचे, ऊपर सर्वत्र
बहती सदानीरा
नहीं दीखी तुम्हें?