चाँद ?
मैं उसे अवश्य पकड़ूँगा ।
प्रेम के पिंजड़े में पालूंगा,
ह्रदय की डाल पर सुलाऊँगा,
प्यार की पंखुड़ी
चाह की अँखड़ी
चाँद
उससे
स्वप्नों का नीड़ सजाऊँगा ।
तुम्हारा ही तो मुकुर है ।
फूल के मुख पर
तितली सा बैठकर
वह सतरंगे पर फैलाएगा ।
मैं उसे
इंद्रधनु की झूल में झुलाऊँगा,
प्यार का माखन खिलाऊँगा ।
तुम्हारा ही तो मुख है ।
चाँद ?
मैं उसे निश्चय चखूँगा,
फूल की हथेली पर रखूँगा,…
तुम्हारा तो प्रकाश है ।
भावों से सजोऊँगा,
आँसू से धोऊँगा ।
तुम्हारी तो शोभा है ।
पत्तों के अंतराल से
अलकों के जाल से
मैं चाँद को
अवश्य पकड़ूँगा ।
दृष्टि नीलिमा में,
रूप चाँदनी में बखेरूँगा,
तुम्हारा तो बोध है ।