आरक्षण नहीं योग्यता को मापदण्ड बनाइये
अनन्त राम श्रीवास्तव
भाभी ने बैठक में प्रवेश करते ही कहा देवरानी लल्ला कहाँ हैं श्रीमती जी ने कहा ब्रस कर आ रहे हैं। आप बैठिये मैं आपके लिये चाय लेकर आ रही हूँ। जैसे ही मैने बैठक में प्रवेश किया भाभी जी ने मुझे देखते ही कहा गजब हो गया लल्ला! 230 अंक पाने वाला फेल हो गया और 195 अंक पाने वाली लड़की पास हो गयी। यह कैसी ब्यवस्था है।
मैने कहा अच्छा आप टीना डाबी और रचित की बात कर रही हैं। टीना डाबी आरक्षण के लाभ के चलते 195 अंक पाकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हो गयीं जबकि सामान्य वर्ग से होने के कारण रचित 230 अंक पाने के बाद भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन नहीं हुआ। इस पर भाभी ने कहा कि सेवा का मापदण्ड तो आरक्षण नहीं योग्यता होना चाहिये।
इसपर श्रीमती जी ने कहा कि जब सरकार 14वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के साथ उन्हें स्कूली ड्रेस व मध्याह्न भोजन भी देती है तो सरकार को आरक्षण ब्यवस्था समाप्त कर सभी प्रकार की शिक्षा निःशुल्क करने के साथ उन्हें पुस्तकें, स्टेशनरी, ड्रेस, भोजन, छात्रावास सभी मुफ्त उपलब्ध कराना चाहिये। उसके बाद योग्यता के आधार पर सरकारी सेवाओं में चयन होना चाहिये।
पड़ोसिन चाची ने आते ही कहा मैं भी दोनों बहुवों के विचारों से सहमत हूँ। आरक्षण ब्यवस्था के चलते देश को योग्य और प्रतिभावान युवाओं से वंचित रहना पड़ता है वहीं इससे योग्य और प्रतिभावान युवाओं के अंदर अवसर न मिल पाने के कारण कुंठा पैदा हो जाती है। जो उन्हें दिग्भ्रमित कर देती है। यह उचित नहीं है।
आजादी के बाद संविधान निर्माताओं ने देश के दबे कुचले वंचित वर्ग को केवल दस वर्षों के लिये आरक्षण देने का उल्लेख किया था किंतु वोट की राजनीति के चलते सभी सरकारें संविधान में संसोधन कर इसे लगातार बढ़ाती चली गयीं। यह सामान्य वर्ग के साथ अन्याय है।
इस पर पड़ोसिन चाची ने कहा कि यह सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। इस सरकार का नारा है सबका साथ सबका विकास किंतु सबका साथ तो वोट के रूप में अवश्य लेती है किंतु विकास आरक्षित वर्ग का ही करती है। इस सरकार ने कई क्रांतिकारी कार्य किये हैं किंतु आरक्षण ब्यवस्था की जगह योग्यता को मापदंड के रूप में लाने में असमर्थ रही है। इस पर भाभी जी ने कहा कि यह सरकार के एजेंडे में नहीं है। इस देश के सभी सवर्णों को उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर आरक्षण की जगह योग्यता को मापदंड लागू करने की माँग करनी चाहिये।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव