नेताओं की जुबान क्यों फिसलती है?
. ए. आर. श्रीवास्तव
एक पुरानी पिक्चर का गाना था "ना ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे करना था इनकार मगर इकरार तुम्ही से कर बैठे" बस यही हाल हमारे नेताओं का है वे कहना कुछ चाहते हैं मगर कह कुछ और जाते हैं। जिससे बाद में उनकी आलोचना अथवा हँसी होती है। राजनीतिक गलियारों में इसे "जुबान फिसलना" कहते हैं। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक व महाराष्ट्र से लेकर आसाम तक रोज ही किसी न किसी नेता की जुबान फिसलती ही रहती है।
हमेशा की तरह मैं आज भी बैठक में चाय की चुस्की के साथ गरमागरम नास्ते का आनन्द ले रहा था इतने में श्रीमती जी ने बैठक में प्रवेश करने के साथ टीवी आन करते हुये बगल में आकर बैठ गयीं। चाय पीते हुये मुझसे सवाल किया एजी ये "जुबान फिसलना" क्या होता है। मैं श्रीमती जी को समझाने के लिए कोई उदाहरण सोच ही रहा था कि टीवी पर एक विज्ञापन आने लगा "जिसमें अभिनेता बाप अपनी बिस्किट खाती हुयी बेटी से पूँछ रहा था कि तुम्हें कौन डेट कर रहा है। इसपर बिस्किट खाते हुये बेटी ने बताया राहुल. रोहित, राजेंद्र इस पर बाप ने फिर पूँछा इनमें से कौन? बेटी ने जवाब दिया तीनों" इसी के साथ पीछे से आवाज आती है मक्खन इतना कि खाते हुये जुबान फिसले। मैनें तुरन्त श्रीमती जी से कहा लो तुम्हारे सवाल का जवाब मिल गया। सभी नेता यही बिस्किट खाते हैं बिस्किट में मिले मक्खन के कारण ही नेताओं की जुबान फिसलती है। सरकार को इस बिस्किट पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए अथवा बिस्किट में मक्खन की मिलावट को ही बंद कर देना चाहिए। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी अर्थात जब बिस्किट में मक्खन ही नहीं मिलाया जायेगा तो जुबान भी नहीं फिसलेगी।
इसपर श्रीमती जी ने कहा कि बिस्किट इतना अच्छा है तो बिस्किट पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है मेरे विचार से नेताओं को इसके खाने पर प्रतिबंधित कर देना चाहिए। अगर पूरी तरह बिस्किट खाने पर प्रतिबंध लगाना संभव न हो तो उनके सार्वजनिक रूप से बिस्किट खाने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। सार्वजनिक जीवन में ही जब नेताओं की जुबान फिसलती है तभी उनकी आलोचना अथवा हँसी होती है। मैंने कहा नेता ही तो सरकार चलाते हैं फिर वे नेताओं के बिस्किट खाने पर प्रतिबंध कैसे लगा सकते हैं। इसपर तो नेता ही नेताओं का विरोध करने लगेंगे। विरोध के चलते सरकार गिर सकती है अतः नेताओं पर प्रतिबंध लगाने की अपेक्षा बिस्किट में मक्खन की मिलावट बंद कर देनी चाहिए अगर मक्खन की मिलावट बंद करना संभव न हो तो इस बिस्किट का उत्पादन ही बंद कर देना चाहिए।
इसपर श्रीमती जी ने कहा कि फिर तो सरकार को इस बात की जाँच करानी चाहिए कि किस क्वालिटी का मक्खन बिस्किट में मिलाया जाता है जिससे जुबान फिसलने लगती है कहीं ये नेताओं के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं है अगर ये साजिश है तो फिर बहुत गम्भीर मामला हो सकता है।
मित्रो आप ही बतायें कि यह हमारे नेताओं के खिलाफ साजिश है या नहीं और यदि साजिश है तो इसकी जाँच सीबीआई से करानी चाहिए या फिर किसी अन्य एजेंसी से जाँच करानी चाहिए।
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आपका
ए. आर. श्रीवास्तव