राहुल का गुरू आर.एस.एस. व भाजपा
A.R.Srivastava
मोदी जी तो प्रत्येक माह में अपने मन की बात जनता से कहते हैं। राहुल बाबा ने भी मोदी जी के पदचिन्हों पर चलते हुए वर्ष 2022 की विदाई वेला में अपने मन की बात सार्वजनिक करते हुए आर.एस.एस. व भाजपा को अपना गुरू घोषित कर दिया। राहुल का बयान सार्वजनिक होते ही भाजपा ने राहुल से उन्हीं की शैली में गुरू मानने के सबूत मांगने शुरू कर दिये। राहुल बाबा ने भी पूर्व में भाजपा सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक व एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। इसलिये भाजपा नेता व असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा ने नहले पर दहला जड़ते हुये राहुल बाबा से आर.एस.एस. को गुरू मानने का सबूत देने को कहा। उन्होंने कहा कि अगर राहुल बाबा आर.एस.एस. को गुरु मानते हैं तो आर.एस.एस. के मुख्यालय नागपुर में जाकर गुरु दक्षिणा अदा करें। अब राहुल बाबा फंस गये इधर कुआँ उधर खाँही करें तो क्या करें।
राहुल बाबा महाभारत के एकलव्य की तरह फंस गये हैं अगर नागपुर जाकर सच्चे शिष्य होने का फर्ज निभाते हुये गुरु दक्षिणा देते हैं तो उन्हे कांग्रेस से बाहर होने के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। वे कांग्रेस व आर.एस.एस. रुपी दो नावों की सवारी एक साथ नहीं कर सकते हैं। अगर वे नागपुर नहीं जाते हैं तो लोग उनके बयानों को गंभीरता से नहीं लेंगे। इससे उनकी विश्वसनीयता में कमी आयेगी। राजनीति में विश्वसनीयता की कमी से नेता न घर का रहता है न घाट का। ऐसी दशा में उसका पराभाव शुरू हो जाता है। जो उसे शून्यता की ओर ले जाता है। इससे उसकी पार्टी प्रभाहीन होने के साथ प्रभावहीन भी हो जाती है।
खैर यह तो हो गयी आ बैल मुझे मारने वाली बात। अब आगे का हाल सुनो। राहुल बाबा ने जैसे ही आर.एस.एस को अपना गुरू बताया वैसे ही किसी ने पुलिस को फोन कर आर.एस.एस. के नागपुर स्थिति मुख्यालय को बम से उड़ाने की धमकी दे दी। यह तो वही कहावत हो गयी कि जहाँ जहाँ चरण परैं संतंंन के तहाँ तहाँ बंटाधार। भारत जोड़ो यात्रा से संत बने राहुल बाबा के नागपुर में पैर रखने के पूर्व ही उसके विनाश का फरमान जारी हो गया। पुलिस ने धमकी को गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा बढ़ाने के साथ बम निरोधक दस्ता भी तैनात कर सुरक्षा की जाँच शुरू कर दी है। आगे भगवान मालिक है जब बांस रहेगा तभी तो बांसुरी बजेगी अर्थात जब आर.एस.एस. मुख्यालय बचेगा तभी तो राहुल बाबा गुरु दक्षिणा देने जायेंगे। आर.एस.एस वाले भी क्या सोच रहे होंगे कि किस घड़ी में राहुल बाबा ने उन्हें अपना गुरु माना था कि उनके मुख्यालय पर ही विनाश के बादल मड़राने लगे। इससे अच्छा था कि वे आर.एस.एस. को अपना गुरू न मानते।
खैर जो भी होगा वह अगले अंक में बतायेंगे। फिलहाल तो राहुल बाबा की भारत जोड़ो यात्रा ही दाँव पर लग गयी है। उनके एक बयान से आर एस.एस. मुख्यालय टूटने की कगार पर पहुँच गया है आगे आगे होता है क्या?
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A. R. Srivastava