मेल एक्सप्रेस है तो फीमेल एक्सप्रेस क्यों नहीं
अनन्त राम श्रीवास्तव
रविवार का साप्ताहिक अवकाश होने के कारण मैं बैठक मे समाचार पत्र देख रहा था उसी समय पड़ोस वाली भाभी ने बैठक में प्रवेश करते हुए पूँछा लल्ला कया हाल है। मैंने कहा ठीक है भाभी अपनी सुनाओ। भाभी ने आराम से बैठते हुये कहा, तुम्हाये भैया का ट्रांसफर होय गवो है सो "मेल" से चले गये। इतने में श्रीमती जी ने बैठक में चाय के साथ प्रवेश किया। भाभी को चाय देने के साथ वे मेरे बगल में आकर बैठ गयीं। भाभी ने कहा देवरानी तुम्हें कैसे पता चला कि मैं आ गयी हूँ। श्रीमती जी ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है कि आप अपने प्रिय देवर से मिलने आयें और मुझे आहट भी न हो! मुझे आपकी आवाज समझ आ गयी थी इस लिये मैने आप के लिए भी चाय बना ली।
मैं सावधान हो गया पिछले रविवार की तरह आज भी देवरानी जेठानी मिल कर मेरा बैण्ड बजाने का प्लान बना चुकी हैं। चाय पीने के साथ भाभी जी ने कहा लल्ला एक बात समझ में न आयी। ये रेलवे वाले तो मेल एक्सप्रेस चलाते हैं पर फीमेल एक्सप्रेस क्यों नहीं चलाते? श्रीमती जी ने भी भाभी की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा सौ प्रतिशत सही कहा भाभी। मैं समझ गया कि मेरी खिंचाई का कार्यक्रम शुरू हो गया है।
मैंने कहा भाभी आप जब कहीं जाती हैं तो आपको तैयार होने में कितना समय लगता है और भैया को तैयार होने में कितना समय लगता है? रेलवे इसीलिए फीमेल एक्सप्रेस नहीं चलता है कि उसको तैयार होने में ही इतना समय लग जायेगा कि वह समय पर चल ही नहीं पायेगी।
इस पर श्रीमती जी ने कहा एरोप्लेन में तो विमान परिचारकायें व महिला पायलट अपनी वर्दी में ही ड्यूटी करती हैं वें तो नहीं सजती संवरती। मैंने कहा हवाई यातायात में कोई एरोप्लेन "मेल" और फीमेल नहीं होता। वहाँ वर्दी का अनुशासन होता है।
भाभी ने कटाक्ष करते हुए कहा लल्ला फिर टरेनो में "महिला कम्पार्टमेंट लगाने का क्या औचित्य है। फीमेल कम्पार्टमेंट रेलवे लगा सकती है पर फीमेल एक्सप्रेस नहीं चला सकती। ये तो वही बात हुई कि "गुड़ खाओ और गुलगुले से परहेज करो" सरकार की कथनी व करनी एक होनी चाहिए।
मैंने कहा भाभी फीमेल कम्पार्टमेंट में केवल महिलायें ही बैठती हैं। ऐसा महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से किया जाता है। अगर पूरी एक्सप्रेस में फीमेल कम्पार्टमेंट होंगे तभी तो वह फीमेल एक्सप्रेस होगी। अगर एक्सप्रेस में सभी कम्पार्टमेंट फीमेल होंगे तो इतनी अधिक संख्या में यात्रा करने के लिये महिलायें कहाँ से आयेंगी। अधिकांश महिलायें तो किसी न किसी पुरुष के साथ ही यात्रा करती हैं। फीमेल एक्सप्रेस होगी तो महिलाओं को अपने बच्चों के साथ अकेले ही यात्रा करनी पड़ेगी उस दसा में उनका सामान कौन उठायेगा। सामान तो ज्यादातर पुरुष ही उठाते हैं। मेल एक्सप्रेस का अर्थ होता है तेज चलने वाली रेलगाड़ी जो सभी स्टेशनों पर नहीं रुकती। इससे वह कम समय में अधिक दूरी तय कर लेती है। मेल एक्सप्रेस में महिला व पुरुष सभी यात्रा कर सकते हैं।
भाभी ने कहा वाह लल्ला आज तो आपने हम देवरानी जेठानी दोनों की एक साथ बैण्ड बजा दी। तुम जीत गये और हम दोनों हार गयीं। श्रीमती जी ने भी अनमने भाव से कहा सो तो है जीजी। मैने विजयी भाव को छुपाते हुये कहा इसमें हार जीत कैसी। आप दोनों के मन में जो सवाल थे उनका समाधान करना हमारा दायित्व है।
मित्रो आज का फीमेल एक्सप्रेस का प्रस्ताव आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करना मत भूलें।
आपका
. अनन्त राम श्रीवास्तव