. मच्छरों की हल्ला बोल
अनन्त राम श्रीवास्तव
मच्छरों का काम समाज के सभ्य लोगों को काटना व उनका खून चूसना है। सृष्टि के आरम्भ से ही वे अपने इस दायित्व को बखूबी निभाते चले आ रहे हैं। जमाना बदलने के साथ समाज में जागरूकता आयी तो लोगों ने मच्छरों से बचाव के उपाय शुरू कर दिये। कुछ लोगों ने आडोमास से लेकर विभिन्न प्रकार के लिक्विड तक स्तेमाल करना शुरू कर दिया। इससे मच्छरों को अपना दायित्व निभाने में परेशानी होने लगी। मच्छरों के एक समूह ने आधुनिक तकनीक व यन्त्रों को अपना कर इसका तोड़ निकाल लिया।
इस समूह ने योजनाबद्ध तरीके से समाज के जागरूक लोगों पर जब वे अपना त्योहार मना रहे थे उसी समय अचानक एयर व सर्जिकल स्ट्राइक कर समाज के जागरुक लोगों को इतनी बेहरैमी से काटा कि उनमे से कुछ की वहीं मृत्यु हो गयी। कुछ को वे अपने साथ पकड़ कर ले गये जिससे उनका खून आराम से पी सकें। इससे जागरूक लोगों के मुखिया को इतना गुस्सा आया कि उसने मच्छर मार यज्ञ शुरू करवा दिया। इससे मच्छरों के विभिन्न समूहों को लगा कि इस यज्ञ से तो उस समूह का समूल नाश हो जायेगा।
यह सोचकर दुनिया के दूसरे नम्बर के नेता ने एक तीर से दो शिकार करने का मन बनाकर आह्वान कर दिया कि दुनिया के मच्छरों एक हो जाओ अन्यथा वह दिन आयेगा कि ये जागरूक लोग हमें काटने के साथ हमारा खून चूसने लगेंगे जिससे मच्छरों की प्रजाति ही पृथ्वी से लुप्त हो जायेगी। इस आह्वान के पीछे उसका छिपा हुआ एजेंडा था दुनिया के मच्छरों का नम्बर एक नेता बनना था। मच्छरों का नम्बर एक नेता नम्बर दो के नेता की चाल को समझ कर उसके आह्वान का समर्थन नहीं किया।
मच्छरों के नम्बर दो नेता ने नम्बर एक नेता से सर्मथन न मिलता देख उसने खटमलों के समूह से दोस्ती कर जागरूक लोगों के खिलाफ छदम युद्ध छेड़ दिया। इससे जागरूक लोगों पर दबाव बनाकर मच्छर मार यज्ञ रुकवाने में कामयाब हो गया। मच्छर मार यज्ञ रुकते ही मच्छरों के उस समूह ने फिर से जागरूक लोगों को काटना शुरू कर दिया। जागरूक लोगों ने जवाबी कार्यवाही करते हुये फिर से मच्छर मार यज्ञ विशेष मंत्रोच्चार के साथ शुरू कर दिया। अब देखना है कि मच्छर जीतते हैं या जागरूक लोग यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
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आफका
अनन्त राम श्रीवास्तव