जागरूक मतदाता की ताकत
अनन्त राम श्रीवास्तव
एक छात्रावास में सौ छात्र रहते थे। विद्यालय प्रबंधन द्वारा छात्रों को सुबह नास्ता, दोपहर और रात्रिकालीन भोजन दिया जाता था। एक बार छात्रों को रात्रिकालीन भोजन में खिचड़ी दी गयी। कुछ छात्रों ने इसपर अपनी नाराजगी जाहिर की। विद्यालय प्रबंधन ने कहा आपको रात्रि कालीन भोजन में क्या चाहिये। इसपर कुछ ने पूड़ी सब्जी कुछ ने बिरियानी कुछ ने छोला भटूरा कुछ ने अन्य पकवानों की माँग की। इसपर विद्यालय प्रबंधन ने कहा कल सुबह वोटिंग होगी। जो भी बहुमत में होगा वही रात्रिकालीन भोजन में दिया जायेगा।
सुबह जब वोटिंग का समय आया तो बिरियानी के शौकीन छात्रों ने सबसे पहले जाकर वोट डाला इसके बाद उन्होंने पूरे छात्रावास में भ्रमण कर पता कि बिरियानी का शौकीन कोई छात्र बाकी तो नहीं रह गया है। उधर अन्य पकवानों के शौकीन छात्रों में कुछ वोट डालने गये कुछ आराम से सोते रहे, कुछ क्रिकेट खेलने चले गये तो कुछ फिल्म देखने चले गये।
परिणाम जब घोषित किये गये तो
25- बिरियानी के छात्र
20-खिचड़ी के छात्र
18-छोला भटूरा के छात्र
16-पूड़ी सब्जी के छात्र
21- छात्र वोट डालने ही नहीं गये
जो छात्र वोट डालने नहीं गये उनमें
02- छात्र खिचड़ी के
09-छात्र छोला भटूरा
06-छात्र पूड़ी सब्जी
04-छात्र अन्य पकवानों के शौकीन
छोला भटूरा व पूड़ी सब्जी के शौकीन छात्र बिरियानी के शौकीन छात्रों से संख्या में अधिक होते हुये भी समय पर वोट न डालने के कारण आज भी बिरियानी खाने को मजबूर हैं। यही हाल हमारे लोकतंत्र का है। हम राजनीतिक दलों की आलोचना तो करते हैं पर चुनाव के समय वोट डालने नहीं जाते। आप जिसे पसंद करते हो उसे वोट दो पर समय पर वोट डालने अवश्य जाइये।
मित्रो आपको आज की "आप बीती व जग बीती" का अंक कैसा लगा। अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराना मत भूलें।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव