प्रधान का पलटवार विपक्ष लाचार
अनन्त राम श्रीवास्तव
पिछले स्वतंत्रता दिवस पर विपक्ष ने प्रधान पर तंज कसते हुये चिट्ठी लिखी थी कि न चैन से बैठूँगा और न चैन से बैठने दूँगा। विपक्ष ने कुछ कार्य क्रमो का उल्लेख करते हुये कहा था कि "उक्त कार्यक्रमों में उन्हें "बेचारा" बना कर रख दिया था" इस पर प्रधान ने पलटवार करते हुये जवाब दिया कि 'न खाऊँगा और न खाने दूँगा' इस पर वे अभी भी कायम हैं। इस बार 'भ्रष्टाचार' को लेकर जनता से समर्थन करने की अपील की है।
प्रधान के इस पलटवार से विपक्ष सकते में है कि इसकी काट कैसे निकाली जाये। उनके कुनबे में तो ऐसा कोई दूध का धुला है ही नहीं जो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधान से मोर्चा ले सके। पप्पू व उसका परिवार पहले ही अदालती आदेश से छापे व जाँच की कार्यवाई का सामना करना पड़ रहा है। देर सबेर उनके गले में "चारे" तरह फंदा पड़ना तय है। खुद को शेरनी समझने वाली 'दीदी' शिक्षा विभाग में हुये घोटाले को लेकर भीगी बिल्ली बन गयीं हैं। वे जाँच की आँच से स्वयं को बचाने के लिए 'दादा' से दूरी बना रही हैं। दलितों के बलबूते पर उत्तर प्रदेश में धमक जमाने वाली बहन जी अकेलापन महसूस कर रही हैं वे भी भगवा वालों के डर से अथवा उनके साथ किये गये अहसान के कारण चुप्पी साधे हैं। उनका भतीजा भी केवल 'फुफकारने' की छपास वाली राजनीति कर रहा है।
ले देकर उनके पास महाराष्ट्र बचा था वहां भी परिवार में फूट के चलते वे सत्ता से बेदखल हो चुके हैं। हो हल्ला मचाने वाले दोनों शेर भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की शोभा बढ़ा रहे हैं। ले देकर अपना 'खुजली' बचा था जो भ्रष्टाचार के खिलाफ झाड़ू लगाने वाली टीम से निकल कर आया था "मुफ्त की रेवड़ी" के बल पर दिल्ली के साथ पंजाब में भी अपना झंडा गाड़ दिया था। उसके भी एक दिल्ली का चेला व एक पंजाब का चेला भ्रष्टाचार के आरोप में सरकारी हवेली में तलब किये जा चुके हैं। अब उसके खासम खास दिल्ली के चेले पर भ्रष्टाचार को लेकर कार्यवाही शुरू हो चुकी है। सत्ता के लिये उनके अपने ही लोग उसका साथ देने के बजाय विरोध कर रहे हैं।
अभी हाल ही में सुशासन बाबू को भगवा साथियों से तोड़कर अपने साथ मिलाया था वहाँ भी "सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने" वाली कहावत चरितार्थ होने लगी है। कानून व्यवस्था तो विगड़ ही रही है खुद कानून मंत्री कठघरे में आ गये हैं। यही नहीं उनके सहयोगी दल के विधायक भी अपराधी होने का आरोप लगा कर नये नवेले मंत्री को हटाने की मांग करने लगे हैं। सोचा था पाक साफ सुशासन बाबू को प्रधान से दो दो हाँथ करने के लिये मोर्चा लेने को कहेंगे लेकिन सुशासन बाबू अपने बनाये जाल में ही उलझते जा रहे हैं। वे प्रधान से क्या लोहा लेंगे। इसी को कहते हैं "लम्हो ने खता की थी सदियों ने सजा पाई" हम सब ने एक एक कर भ्रष्टाचार को गले लगाया अब हममें से ऐसा कोई नहीं बचा है जो प्रधान की ललकार का जवाब दे सके।
प्रधान भी देख रहा कि उसने भ्रष्टाचार रुपी गरम लोहे पर जो चोट की है उसके प्रभाव से विपक्ष तिलमिला जरूर रहा है पर कुछ करने की स्थिति में नहीं है वहीं जनता भ्रष्टाचार पर चोट करने से खुश है और उसके इस कदम का खुलकर समर्थन कर रही है। प्रधान ने अपने पलटवार का समापन करते हुये कहा मैं जनता को तो बधाई दे सकता हूँ किन्तु तुम्हें शुभकामनायें दे रहा हूँ अगर भ्रष्टाचार के आरोप से स्वयं को अदालत व जनता की अदालत से 'बेदाग' साबित कर सकते हो तो कर के दिखाओ अन्यथा राजनीति के हासिये पर जाने के लिये तैयार रहो।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव