दोस्त हो तो खुजली जैसा
अनन्त राम श्रीवास्तव
गुरु जब भगवा पार्टी छोड़कर किसी अन्य पार्टी का दामन थामने पर विचार कर रहे थे उस समय खुजली लाल ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण दिया था किन्तु बात बनी नहीं। फिर भी दोनों के मध्य अनौपचारिक दोस्ती का सिलसिला शुरू हुआ वो आज तक जारी है। गुरु ने भी दोस्ती का फर्ज दिल से निभाया। वो जिस पार्टी में शामिल हुये उसमें वे अपने कारनामों के चलते फर्श से अर्स पर पहुँचे। वहीं वो पार्टी गुरु के कारनामों के चलते अर्श से फर्श पर आ गयी।
पार्टी के अर्श से फर्श पर आने के बाद गुरु भी पैदल हो गये। लेकिन अपने कारनामों के चलते सत्ता की चाभी चुनावी प्लेट पर सजा कर खुजली लाल की पार्टी को सौंप दी। गुरु के पैदल होते ही एक पुराने मामले में उन्हें सरकारी मेहमान नवाजी ( जेल ) में जाना पड़ा। दोस्ती का फर्ज निभाने की बारी अब खुजली लाल की थी। खुजली लाल को जब पता चला कि सरकारी मेहमान नवाजी ( जेल ) में गुरु बीमार पड़ गये। खुजली लाल ने उस सूबे के स्वास्थ्य मंत्री को ही जेल भिजवा दिया। जिससे गुरु का इलाज किया जा सके।
अब उस सूबे के स्वास्थ्य मंत्री की गुरु के साथ केमिस्ट्री ठीक नहीं बनी अथवा गुरु की बीमारी स्वास्थ्य मंत्री पर भारी पड़ गयी। यह जानकारी मिलते ही खुजली लाल ने अपने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को जेल भिजवा दिया। अब देखना है कि गुरु की बीमारी ठीक होती है या नहीं यह तो आने वाला समय बतायेगा पर एक बात तय है कि खुजली लाल अपना फर्ज निभाने में पक्के हैं। गुरु की बीमारी अगर ठीक नहीं हुयी तो अगली बार खुजली लाल स्वयं जेल जाने को तैयार हैं।
इन दिनों खुजली लाल अपने एक मंत्री के जेल जाने के बाद तिलमिलाये हुये हैं। वो अपने एक दो मंत्रियों का नाम लेकर पूँछ रहे हैं कि क्या ये भ्रष्ट हैं इन्हें कब जेल भेजोगे। अरे भाई वो भ्रष्टाचारी हैं या नहीं आपसे अधिक उन्हें कौन जानता है? साफ साफ बता क्यों नहीं देते?दुधाँड़ी ( दूध रख कर पकाने वाला बर्तन ) में साँप क्यों सरका रहे हो।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव