यूक्रेन रूस विवाद पर भाभी की पेसकश
अनन्त राम श्रीवास्तव
मैं आफिस से आकर बैठा ही था कि पड़ोसिन भाभी आ धमकी। आते ही जुबानी मिसाइल दागते हुये सरेंडर करने जैसा आदेश देती हुई बोलीं लल्ला वो कौन सी क्रेन है जिसने सौतिन जैसी नासपीटी को खुल्ला चिनौटी दै रखी है।
मैं भाभी की लक्ष्क्षेदार भाषा में पूँछी गयी पहेली को सुलझाने का प्रयास करते हुये कहा आप यूक्रेन के बारे में तो नहीं जानना चाहती हैं
भाभी ने कहा हाँ वही लल्ला
मैने कहा अच्छा आप यूक्रेन व रुस विवाद के बारे में जानना चाहती हैं
भाभी ने तुरंत कहा हाँ लल्ला
सही पकड़े हैं
मैनें भाभी को समझाना शुरू किया। सोवियत संघ नामक एक खानदान था कुछ दिनो बाद आपसी सहमत से उनमें बटवारा हो गया। बड़े भाई रूस ने बटवारे के समय सभी से बचन लिया था कि वे अपने खानदानी दुश्मनों के साथ कभी भी हाँथ नहीँ मिलायेंगे।
रूस के दो तीन भाई खानदानी दुश्मनों की मीठी मीठी बातों फंस कर उनसे मेल जोल बढ़ा लिया। यूक्रेन भी खानदानी दुश्मनों के दोस्ती के प्रस्ताव को स्वीकार करने की ओर कदम बढ़ाने वाला ही था कि रूस ने उसे समझाया कि तेरी दोस्ती होते ही खानदानी दुश्मन उसके दरवाजे पर आ खड़ा होगा इससे हमारी सुरक्षा को खतरा पैदा हो जायेगा। बस भाभी इसी बात को लेकर यूक्रेन व रूस के मध्य युद्ध शुरू हो गया।
भाभी बोलीं लल्ला जे तौ वोक्रेन ने भली न करी। माना कि बाँटे पूत पड़ोसी बराबर होवे है पर जाको यो मतलब न होवै कि छोटो खानदानी दुश्मन के साथ मिलकर भाई बड़े भाई के दरवाजे काँटे फैलाये। वोक्रेन को चाहिए कि सौतिन सहित सभी भाई मिल कर रहते तो खानदानी दुश्मन की का मजाल जो किसी भाई को आँख दिखा सकै। अब वो खानदानी दुश्मन एक एक कर सबसे चाकरी करवायेगो।
मैनें कहा आपने सही कहा भाभी
भाभी तुरंत नहले पर दहला जड़ते हुये बोलीं लल्ला जहाँ भी वोक्रेन और सौतिन मिल जायें उन्हे कान पकड़ कर हमारे पास ले अइयो। हम दोनों के कान के नीचे एक एक झापड़ दूँगी तो दोनों मान जायेंगे।भूलियो मत लल्ला नहीं तो तुम्हारे भी कान के नीचे खींच के दूँगी।
इतने में श्रीमती जी बोलीं बिलकुल ठीक कहा भाभी ये सौतिन के चक्कर में पड़े तो मैं बेलन व झाड़ू से इनकी खबर लूँगी।
अब मैं दो पाटों के बीच में फंसा अपनी किस्मत को कोस रहा हूँ।
अगर आपको कोई इससे निकलने का रास्ता समझ में आ रहा हो तो बताना।
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आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव