नोटों पर राजनीति
अनन्त राम श्रीवास्तव
नोट (रुपया) का जब से अविष्कार हुआ है तबसे वह इस दुनिया में हर कार्य का माध्यम बना हुआ है। शादी करनी हो तो लेन देन की मध्यस्थता नोट के माध्म से ही होती है। नौकरी हो तो पगार नोटो से ही तय होती है। दुकान से से सामान खरीदना हो तो नोट ही लेन देन का माध्यम होता है। जमाना बदला तो नोट का प्रभा मण्डल और व्यापक हो गया। अब नोट ने राजनीति में भी प्रवेश कर लिया है। राजनीति की दशा और दिशा बदलने का का का काम करने लगा है। बिजली बिल माफ करने, पेंशन देने, कृषि ऋण माफ करने का वादा कर राजनीतिक दल सरकार बनाने लगे हैं।
केंद्र सरकार की नोटबंदी के बाद जमकर राजनीति हुयी। नोटबंदी पर शुरू हुई राजनीति अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुँच गयी है। इधर जबसे अपने मफलरमैन ने नोटों पर "लक्ष्मी गणेश"का चित्र छापने का सिगूफा छोड़ा है तब से लोग नोट पर अम्बेडकर, शिवाजी, राणा प्रताप, सहित तमाम प्रस्ताव सार्वजनिक रूप से दे चुके हैं। प्रस्ताव देने का सिलसिला राजनीतिक गलियारों से होता हुआ गली मोहल्लों तक दस्तक देने लगा है। आज सुबह मैं बाल कटवाने गया था तो बाल काटते हुए कटिंग कर रहे व्यक्ति ने अपने समाज के अध्यक्ष की फोटो नोटों पर छापने का प्रस्ताव दे डाला। उसका तर्क था कि अगर उसका समाज बाल न काटे तो लोग जंगली और आदिवासी नजर आने लगेंगे।
बेटा अपनी शर्ट लेने टेलर मास्टर की दुकान पर गया था तो उसने भी नोटों पर अपने समाज के अध्यक्ष की फोटो छापने की मांग कर डाली। ये तो कुछ उदाहरण हैं वरना तो कुछ सामाजिक संगठनों ने बाकायदा बैठक व सम्मेलन के माध्यम से प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजने का मन बना लिया है। जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके। जहाँ एक ओर विभिन्न सामाजिक संगठन सरकार को प्रभावी ढंग से प्रस्ताव भेजने का ताना बाना बुन रहे हैं वहीं कुछ सामाजिक संगठन प्रस्ताव भेजने के आगे की मोर्चा बंदी में जुट गये हैं। इस मोर्चे बंदी में खुलकर इस बात पर चर्चा हुई कि अगर अमुक संगठन का प्रस्ताव सरकार ने स्वीकार किया तो सड़क से लेकर संसद तक विरोध करेंगे। कुछ तो यहां तक विरोध करने पर उतरने को तैयार हैं कि उनका प्रस्ताव भले ही स्वीकार न हो पर उस संगठन का प्रस्ताव भी स्वीकार नहीं होना चाहिये। अगर ऐसा हुआ तो उनके संगठन की नाक कट जायेगी। मतलब खाने को नहीं मिला तो दूसरे को भी खाने नहीं देंगे।
मैं सायंकाल घर में बैठा चाय पी रहा था तभी श्रीमती जी ने अपने बाबा जी की फोटो नोटों पर छापने का प्रस्ताव देकर कहा कि उनके पिताजी व भैया इसके लिए कुछ भी खर्च करने को तैयार हैं। मैंने उनको वचन दे दिया है कि आप यह काम जरूर से जरूर करवा दोगे। आपके लिए यह कार्य बांये हाँथ का काम है मेरी नाक नहीं कटनी चाहिये अन्यथा मैं मैके चली जाऊँगी फिर मुन्ना मुन्नी को संभालना। मैं इसी उधेड़बुन में था कि बड़े भैया का फोन आ गया। वे कह रहे थे कि कुछ भी हो जाये मेरे परबाबा का फोटो नोटों पर हर हालत में छपना चाहिए अन्यथा पिताजी हमें पैत्रक जायजाद से बेदखल कर देंगे। इसी के साथ उन्होंने ताना कसा कि सुना है तू अपने ससुराल वालों का फोटो नोटों पर छपवाने का प्रयास कर रहा है। अगर यह सच है तो तुझे चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि मैं क्या करूँ। नोटों पर फोटो छपवाना हमारे बस में नहीं है। तेरा सत्यानाश हो खुजली तूने बैठे बैठाये नोटों पर लक्ष्मी गणेश की फोटो छापने की मांग कर सबके दिलों में खुजली पैदा कर दी। अब सूत न कपास कोरी में लठ्ठम् लठ्ठ कहावत की तरह हर घर में जुबानी लठ्ठ चलने लगे हैं।
मित्रो आज की "आप बीती व जग बीती" का अंक कैसा लगा इस पर प्रतिक्रिया बाद में देना पर पहले नोटो पर फोटो छपवाने का कोई जुगाड़ हो तो जरूर बताना। इस पर मेरा इह लोक अर्थात परिवार और परलोक अर्थात पैत्रक संपत्ति दोनों निर्भर हैं।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव