सैर के साथ समाज की बात
अनन्त राम श्रीवास्तव
मित्रो सुबह की सैर (टहलना) से तन मन को ताजगी तो मिलती ही है इसी के साथ समाज के विभिन्न वर्गों के मित्रो से मुक्त वैचारिक आदान प्रदान ज्ञान वर्धक जानकारी नयी ऊर्जा प्रदान करती है। इसी कोध्यान में रखते हुये "आप बीती व जग बीती" के अंर्तगत मित्रो से मिली जानकारी को " सैर के साथ समाज की बात" प्रस्तुत करने जा रहे हैं आज की पहली जानकारी है"नौ सौ लाला (कायस्थ) एक मूली नहीं उखाड़ पाये" ये लोकोक्ति आम चर्चा में रहती है। समाज के लोग अपने अपने हिसाब से इसका अर्थ निकालते हैं। आइये हम आपको इस लोकोक्ति के बारे में जानकारी देते हैं।
एक लाला जी सरकारी मुलाजिम थे उनको ताजी मूली खाने का शौक था। वे सुबह सैर (टहलने) के लिए जाते और गाँव के ही किसान के खेत से एक मूली उखाड़ कर ले आते। लालाजी के विरोधियों ने लाला जी को सबक सिखाने के लिये किसान को समझाया कि इसकी शिकायत लालाजी के हाकिम(अफसर) से कर दो तो लाला जी को दण्ड मिल जायेगा फिर वे आपके खेत से प्रतिदिन मूली नहीं उखाड़ेंगे। किसान ने लाला जी के हाकिम(अफसर) से शिकायत कर दी।
लाला जी के हाकिम (अफसर) ने जब लाला जी से पूँछा तो लाला जी ने तुरन्त जवाब दिया हुजूर मौके की पैमाइश करा ली जाये। जब मौके की पैमाइश का दिन आया तो गाँव के बहुत से लाला गाँव वालों के साथ तमाशा देखने पहुँच गये। लाला जी ने मूली उखाड़ने का प्रयास किया किन्तु उखाड़ी नहीं। मूली उखाड़ने के लिये एक एक कर नौ सौ लालाओं ने मूली उखाड़ने का प्रयास किया किन्तु उखाड़ी नहीं। सभी ने हाकिम (अफसर) से कहा कि " हुजूर जब नौ सौ लाला मिलकर मूली नहीं उखाड़ पा रहें हैं तो एक लाला कैसे मूली उखाड़ सकता है। किसान झूँठ बोल रहा है। लाला जी को बिना शर्त बरी कर दिया गया।
मित्रो इस प्रकार यह लोकोक्ति बन गयी कि "लाला इतने नाजुक (शक्ति में कमजोर) होते हैं कि नौ सौ लाला मिलकर एक मूली नहीं उखाड़ सकते हैं तो वे और क्या कर सकते हैं। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि मुसीबत में समाज के लोग ही साथ देते हैं इस लिये हम सबको समाज के लोगों के साथ हिल मिल कर रहना चाहिये। सुख और दुख में समाज के लोंगो के साथ यथायोग्य सहयोग करना चाहिये तभी हमको मुसीबत में समाज का साथ मिलेगा।
मित्रो आपको आज की "आप बीती व जग बीती" का अंक कैसा लगा। अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराने के साथ लाइक और शेयर करना मत भूलें। आप सभी को धनतेरस व दीपावली की आग्रिम शुभकामनायें।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव