चाय के प्याले में तूफान
अनन्त राम श्रीवास्तव
चाय की चुस्की के साथ राजनीतिज्ञों के बयानों से चाय की प्याली में तूफान उठना स्वभाविक ही नहीं आसान भी है। वहीं राजनीतिज्ञों द्वारा चाय पीने को लेकर बयान बाजी करने से चाय की प्याली के साथ चाय पीने वालों के दिलों में तूफान उठना स्वाभाविक ही नहीं लाजिमी भी है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में वहां के योजना मंत्री द्वारा चाय पीने को लेकर दिये गये बयान से वहां के चाय के शौकीनों के दिलों मे तूफान चल रहा है। उस तूफान की आँच हमारे टी वी चैनलों के डिवेट तक पहुँच चुका है।
पाकिस्तानी योजना मंत्री के बयान के अनुसार वर्ष 2020 - 21 में 70.82 अरब रुपये की चाय पाकिस्तान में आयात की गयी थी। जो विदेशी मुद्रा में लगभग 38 करोड़ डालर है पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भण्डार दिनों दिन कम होता जा रहा है इसलिए योजना मंत्री ने अपने देशवासियों से इल्तिजा की थी कि वे चाय पीने में कमी लायें जिससे चाय का आयात कम करना पड़े। योजना मंत्री के इस बयान से पाकिस्तान में चाय के प्याले के साथ साथ चाय पीने वालों के दिलों में तूफानी लहरें अपना रौद्र रूप दिखाने लगीं हैं। पाकिस्तानी आवाम का कहना है कि अब घर आये मेहमान को एक कप चाय भी पिलाना मुश्किल हो गया है।
मंहगाई का आलम यह है कि पाकिस्तान में चाय की पत्ती नौ सौ रुपये किलो, चीनी सौ रुपये किलो, दूध 126 रुपये लीटर मिल रहा है। वहीं पाकिस्तान में एक कप चाय 40 रुपये के लगभग मिलती है। इतनी मंहगी चाय पीना व पिलाना पहले ही मुश्किल था। अब योजना मंत्री ने उसपर भी कटौती करने का बयान देकर आवाम के दिलों को छलनी करने का काम किया है। वहीं पाकिस्तानी योजना मंत्री का तर्क है कि अगर हमने अपने विदेशी आयात पर नियंत्रण नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी हालत भी श्रीलंका जैसी हो जायेगी। श्रीलंका जैसे हालातों से बचने के लिए हमें विदेश से आयात होने वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक हो गया है।
मित्रो आप ही बतायें कि चाय के प्याले में उठे इस तूफान को रोकने के लिए पाकिस्तान को क्या करना चाहिए। आपको आज की "आप बीती व जग बीती" का आज का अंक कैसा लगा। अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करना मत भूलें।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव