पुरुष की कामयाबी में महिलाओं का हाँथ
अनन्त राम श्रीवास्तव
रविवार का अवकाश होने के कारण मैं आराम से प्राताकालीन समाचार पत्र की सुर्खियों के साथ चाय की चुस्कियां ले रहा था। इतने में पड़ोस वाली भाभी की आवाज "लल्ला क्या हाल हैं" ने हमारा ध्यान अपनी ओर खींचा। आवाज सुनते ही मैंने श्रीमती जी को इशारा किया वे भाभी के लिए चाय बनाने किचन में चली गयीं। भाभी ने सोफे पर बैठते हुये कहा लल्ला बधाई हो तुम्हारो परमोशन होय गवो है। इतने में श्रीमती जी भाभी के लिए चाय लेकर आ गयीं। श्रीमती जी से चाय का कप लेते हुए भाभी बोली लल्ला चाय से काम न होन वालो है मिठाई से कम पर काम न चलेगो।
अच्छा आप मिठाई खा लेना।
भाभी ने चाय पीते हुए कहा वो कहते हैं न लल्ला "कामयाब पुरूष के पीछे महिला का हाँथ होता है सो तेरे परमोशन में भी मेरी देवरानी का हाँथ है। वो कैसे भाभी? देखो लल्ला शादी के बाद पति पत्नी का भाग्य एक होय जावे है। तभी तो सुख दुख दोनों मिल के साथ साथ निभाते हैं। बच्चे होने के बाद बच्चों का भाग्य भी माँ बाप से जुड़ जाता है। इस लिये तेरे परमोशन में देवरानी का हाँथ है यह साबित हो गया कि नहीं।
मैंने अनमने भाव से कहा आप कहती हो तो मान लेता हूँ। इसपर भाभी ने कहा देखो लल्ला तुलसीदास को महाकवि बनाने वाली उसकी पत्नी रत्नावली थी अगर वह तुलसीदास से न कहती---------
अस्थि चर्म मम देह में जासों ऐसी प्रीति
ऐसी जो श्री राम में होत न भवभीत।।
अर्थात जितना मुझसे प्रेम करते हो उतना श्री राम से करते तो मोक्ष मिल जाता। इसी के बाद तुलसीदास महाकवि बन गये। और सुनो राजा दशरथ ने कैकेयी की बात मानी आज पूजे जाते हैं। लल्ला यही नहीं देवताओं को पत्नी के बिना सम्मान नहीं मिलता। इसीलिये तो राम के पहले सीता का नाम व कृष्ण के पहले राधा का नाम तथा नारायण (विष्णुजी) के पहले लक्ष्मी, शंकर के पहले उमा का नाम लिया जाता है। इस लिये हर मनुष्य को अपनी पत्नी का सम्मान करना चाहिये। पत्नी के भाग्य से ही उसे कामयाबी मिलती है।
मित्रो अब तो आप समझ गये होगे कि शास्त्रों में ऐसे ही नहीं लिखा है " यत्र नारयस्तु पूजन्ते तत्र देवता रमन्ते। आज की "आप बीती व जग बीती" का अंक आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराना मत भूलें।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव