बसंत पंचमी पर माँ शारदे को समर्पित कुण्डली
पीली साड़ी पहनकर, प्रीति बिखेरे सरसों
भंवरे ने कली को देखा, जैसे बीत गये हों बरसों
जैसे बीत गये हों बरसों, तन ने ली अंगड़ाई
पिया मिलन का संदेशा, ले कोयल आई
कह अनन्त कविराय, सुनो हो पिया अनाड़ी
मधु ऋतु के स्वागत में, पहनी पीली साड़ी।