निबुड़ा निबुड़ा--------
(गतांक से आगे)
अनन्त राम श्रीवास्तव
बात निकली है तो दूर तलक जायेगी। कुछ ऐसा ही हुआ आफिस में कर्मचारी संगठन की मीटिंग में " जीवन रक्षक " नींबू को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से राज्य सरकार को ज्ञापन देने का अहम फैसला लिया गया। दूसरे दिन राज्य सरकार को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भेजने के बाद उसकी सूचना प्रादेशिक संगठन को भेज दी गयी इसी के साथ समाचार पत्रों को प्रकाशन के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी गयी। संगठन के मीडिया प्रभारी ने बाकायदा सभी समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों को फोन कर इस जीवन रक्षक मुद्दे पर सहयोग करने का अनुरोध किया। बस फिर क्या था समाचार पत्रों को नया मुद्दा मिलते ही अगले दिन सभी समाचार पत्रों में "जीवन रक्षक नींबू" छा गया। अगले ही दिन अन्य संगठनों ने भी इस बहती गंगा में अपने अपने हाँथ धोने का भरपूर प्रयास किया। तीसरे ही दिन "नींबू" राज्य स्तरीय समस्या बन गया।
चौथे दिन विधानसभा सत्र के दौरान समाचार पत्रों की कटिंग पटल पर रखते हुये विपक्षी नेता ने सरकार से इस पर जवाब माँगा और एक सप्ताह बाद इसी माँग को लेकर कर्मचारी संगठनों के होने वाले राज्य स्तरीय धरना प्रदर्शन पर सरकार से अपना पक्ष रखने की माँग की। विपक्षी दलों ने ये भी साफ कर दिया कि इस जीवन रक्षक मुद्दे पर वे कर्मचारी संगठनों का समर्थन व सहयोग दोनों करेंगे। विधानसभा में नींबू को लेकर पक्ष विपक्ष में तीखी नोंक झोंक हुयी। सरकार ने विपक्ष पर नींबू की समस्या का महिमामंडन करने व कर्मचारी संगठनों को भड़काने का आरोप लगाया। विपक्षी दलों के एक शिष्टमंडल ने राज्यपाल से मिलकर राज्य सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया।
राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी होने वाली फजीहत से बचने के लिये "डैमेज कंट्रोल" शुरू कर दिया। डैमेज कंट्रोल के तहत मंत्रियों के एक दल ने कर्मचारी संगठनों से प्रस्तावित धरना प्रदर्शन को रोकने अथवा कुछ समय के लिए स्थगित करने के लिये वार्ता की पैशकश की जिसे कर्मचारी संगठनों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
उधर दूसरे मंत्रियों के दल ने इस समस्या का पता लगाने के लिए एल आई यू सहित सभी खुफिया संगठनों को सक्रिय कर दिया। सभी खुफिया संगठनों ने इसे सरकार की "नाक की बात" मान कर अपने अपने घोड़े खोल दिये। उधर मंत्रियों के साथ वार्ता में कर्मचारी संगठनों ने जमकर पार्टी की सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक सप्ताह के लिए धरना प्रदर्शन स्थगित कर दिया। धरना प्रदर्शन स्थगित होने पर राज्य सरकार ने राहत की साँस ली। उधर खुफिया एजेंसियों ने सरकार को बताया कि सरकार के ही एक नेता का करीबी नींबू आढ़ती अधिक कमाई के लिए नींबू की जमाखोरी कर कृतिम अभाव पैदा कर रहा है जिससे नींबू इतने मंहगे हो गये हैं। अगर उसपर छापामारी की जाती है तो सरकार की ही किरकिरी होगी। इसलिये नेता जी पर दबाव बना कर उस आढ़तिये से नींबू सस्ते कराये जा सकते हैं। इससे साँप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। मंत्रियों को यह सुझाव पसंद आया। दूसरे दिन सरकार ने घोषणा की कि सरकार आढ़तियों के सहयोग से सस्ते दामों में नींबू बिकवायेगी।
इस समस्या के समाधान होने पर सरकार ने राहत की साँस ली। कर्मचारी संगठनों को जीवन रक्षक मुद्दा उठाने व समाधान निकालने में सहयोग देने के लिए आभार व्यक्त किया। उधर आढ़तिये पर दबाव बनाने वाले नेता जी को दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री बना दिया गया। आढ़तिये को भी नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने का आश्वासन दे दिया गया। कर्मचारी संगठन ने भी इस मुद्दे को सबसे पहले उठाने वाले संगठन के नेताओं का प्रमोशन कर उन्हे प्रादेशिक संगठन में ले लिया। खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों को महत्व पूर्ण सुझाव देने के लिए आऊट आफ टर्न प्रमोशन कर दिया गया।
मित्रो इस प्रकार नींबू की मंहगाई ने जनता के साथ सभी को आपदा में अवसर प्रदान किया।
आपका
अनन्त राम श्रीवास्तव